हे कचनार कदंब अनार रसाल तमाल गुलाल सुपारी।
अमला अमरूध के चूत सभे ओलतान वितान झुके सभ डारी।
जामुन कईत करील तुहूँ कदलीफल श्रीफल ऊँच निहारी।
द्विज दास महेन्द्र से साँची कहऽ कहीं देखे हो तू मिथिलेश कुमारी।
हे कचनार कदंब अनार रसाल तमाल गुलाल सुपारी।
अमला अमरूध के चूत सभे ओलतान वितान झुके सभ डारी।
जामुन कईत करील तुहूँ कदलीफल श्रीफल ऊँच निहारी।
द्विज दास महेन्द्र से साँची कहऽ कहीं देखे हो तू मिथिलेश कुमारी।