हर बंधन में हो आजादी की चाह
ये जरूरी नही
शर्त बस इतनी के बेड़ी मोहब्बत और ख़लूस कि हो
मजबूरी की नही

तू चाहता है मुझको इतना काफी है मेरे लिए
जब दिल मिल जाये तो मीलों की दूरी
कोई दूरी तो नही

हर बंधन में हो आजादी की चाह
ये जरूरी नही

बस तुझे देखना बस तुझे सोचना अच्छा लगता है
इसी को मोहब्बत कहते है जनाब,
कोई जी हुजूरी नही

हर बंधन में हो आजादी की चाह
ये जरूरी नही

तू मिला तो मानो सब मिल गया,
आंखों को ख्वाबो का घर मिल गया
अब लगता है मुकम्मल हु मै और कोई
हसरत अधूरी नही

हर बंधन में हो आजादी की चाह
ये जरूरी नही

By shayar

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