मुहब्बत को बरूए कार  ला सकते हैं हम दोनों
ज़माने भर को सीने से लगा सकते हैं हम दोनों
दिलों की बाहमी तल्ख़ी  मिटा सकते है हम दोनों
हिजाबे-दरमियाँ  अब भी उठा सकते हैं हम दोनों
बदल सकते हैं शोले आज भी मौजे बहाराँ  में
हर अंगारा गुले खन्दाँ  बना सकते है। हम दोनों
जिसे सुनते ही शिकवे  शुक्र  में तब्दील हो जाएँ
दिलों के साज़ पर वह गीत गा सकते हैं हम दोनों
न पड़ने दें अगर गर्दे कुदूरत शीशा ऐ दिल पर
मुहब्बत को भी आईना दिखा सकते हैं हम दोनों
अगर तख़रीब  का रूख जानिए तामीर  हो जाए
वतन को जन्नते अर्जी बना सकते है हम दोनों
फ़क़त  बारे मुहब्बत ही इक ऐसा बार है जिससे
हर इक उठता हुआ फ़िरना  दबा सकते हैं हम दोनों
रहे अमनो अमाँ  वह राह है जिस राह पर चल कर
ख़ुदा शाहिद ज़माने भर पे छा सकते हैं हम दोनों
कहाँ जाएगी हम दोनों से मंजिल सरकशी  करके
नया जादह नई मंजिल बना सकते हैं हम दोनों
’नजीर’ अल्लाह रक्खे इत्तिहादे बाहमी  कायम
हर इक मुश्किल को अब आसाँ बना सकते हैं हम दोनों

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *