हम दास तीन्हके सुनाहो लोकां । रावणमार विभीषण दिई लंका ॥ध्रु.॥

गोबरधन नखपर गोकुल राखा । बर्सन लागा जब मेंहुं फत्तरका ॥१॥

वैकुंठनायक काल कौंसासुरका । दैत डुबाय सब मंगाय गोपिका ॥२॥

स्तंभ फोड पेट चिरीया कसेपका । प्रल्हाद के लियें कहे भाई तुकयाका ॥३॥

By shayar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *