झुमर (भादुरिया)
कृष्ण लीला
सांझे गेलों भरे पानी,
तहाँ आये नीलमणि,
बीच घाटें करे झिकाझोर
सखि रे, बड़ी हठी कालिया किशोर
बड़ी हठी…
सखि रे।…
बुझालें नें बुझे बात, दिये चाहे देहें हाथ,
सिर के गगरी फोड़े मोर
दौड़ी कें गेलों पराय, पीछु दौड़ी लपटाय
देल मोरि बहियाँ मरोर
सखि! देल मोर…
हेरी किशोरी किशोर, भवप्रीता प्रेमे भोर
चन्दा हेरी हैसन चकोर
सखि, चन्दा हेरी…
तोही में, मोही में, सबमें, नन्द किशोर।