सलमा सितारे के किनारे हैं हमारे प्यारे
चादर रूमाल देखि मोहित होई जावोगें।
घास लेट मखमल ओ डोरिया देखाऊँ तोहे
धोती कोरदार देख मुंदित होई जावोगे।
शांतिपुरी ढाका तानजेब है हमारे पास
जड़िअन के काम देख अंत नहीं पाओगे।
द्विज महेन्द्र रामचन्द्र सउदा कुछ लीजे आज
जनक जी के सभा में इज्जत खूब पाओगे।