सभवा बइठल राजा दशरथ दरपन मुँह देखेले हो।
ललना सरवन समीप श्वेत केश भइलें चउथापन बीतेलें हो
मनवाँ में अधिका गलानि मनहीं मन सोचेले हो।
ललना मोरा एगो पुत्र जनमिते चउथापन बीतेले हो।
बेदिया बइठलगुरु बाबा अरज एगो सूनहू हो।
ललना मोरा नाहीं पुत्र जनमलें चउथापन बीतेले हो।
बिहंसिके बोले गुरु बाबा सुनहू राजा दशरथ हो।
ललना श्रृँगीए रिसी के बोलावहु यग्य कराबहु हो।
चइत एमास सुकुल पच्छ नवमी तिथि आइल हो।
ललना सुभ घड़ी लगन मुहूरत रामजी जनम लेलें हो।
जे इहो मंगल गावेले गाई के सुनावेलें हो।
ललना सुकवि महेन्द्र बलिहारी परमपद पावेलें हो।

By shayar

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