संतन पन्हयां लें खडा । राहूं ठाकुरद्वार । चलत पाछेंहुं फिरों । रज उडत लेऊं सीर ॥१॥ Post navigation तुका राम बहुत मिठा रे तुकाप्रभु बडो न मनूं न मानूं बडो