लोक में अविद्या के अनेक बकवाद भरे
राम सुमिर खींच मन सबहीं के ओर से।
वेदन में भांति-भांति विद्या के विवाद भरे
रामनाम पकड़ भाग विरथा चहुँ ओर से।
नान पंथ, भेष नाना, ग्रंथ नाना लेस
राम नाही इरसन हैं काहू के जोर से।
निर्भय रामनाम की सवगंध राम दरसन की
राधु लागे जब अनुभव झकोर से।