लागी रे बालेपन से नजरिया हो।
जब से लगी मोहे चैन ना आवे चितवत मारी कटरिया
कटरिया हो।
दिन नाहीं चैन रात नाहीं निंदिया नीको ना लागे सेजरिया
सेजरिया हो।
अपनो पराया छोड़ देलीं हम निरखीले चढ़के अटरिया
अटरिया हो।
द्विज महेन्द्र जीउ माने नाहीं हँसिहें त हँसिहें नगरिया
नगरिया हो।

By shayar

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