लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिन्द
सब फ़ल्सफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे हिन्द
ये हिन्दियों के फिक्रे-फ़लक उसका है असर,
रिफ़अत में आस्माँ से भी ऊँचा है बामे-हिन्द
इस देश में हुए हैं हज़ारों मलक सरिश्त ,
मशहूर जिसके दम से है दुनिया में नामे-हिन्द
है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़,
अहले-नज़र समझते हैं उसको इमामे-हिन्द
एजाज़ इस चिराग़े-हिदायत , का है यही
रोशन तिराज़ सहर ज़माने में शामे-हिन्द
तलवार का धनी था, शुजाअत में फ़र्द था,
पाकीज़गी में, जोशे-मुहब्बत में फ़र्द था