वो रूप रंग राग का पयाम ले के आ गया
वो कामदेव की क्मान जाम ले के आ गया
वो चाँदनी की नर्म-नर्म आँच में तपी हुई
समन्दरों के झाग से बनी हुई जवानियाँ
हरी-हरी रविश पे हमक़दम भी हमकलाम भी
बदन महक-महक के चल
कमर लचक-लचक के चल
क़दम बहक-बहक के चल
वो रूप रंग राग का पयाम ले के आ गया
वो कामदेव की कमान जाम ले के आ गया
इलाही ये बिसाते-रक़्स और भी बसीत हो
सदाए तीशा कामरा हो कोहकन की जीत हो ।