यही है सबसे बढ़कर महरमे-असरार हो जाना
मयस्सर हो अगर अपना हमें दीदार हो जाना
महब्बत में कहाँ मुमकिन जलीलो-ख़्वार हो जाना
कि पहली शर्त है इन्सान का ख़ुद्दार हो जाना
खुलेगा चारागर पर राज़े-ग़म क्या दर्द के होते
कि आता है इसे ख़ुद नब्ज़ की रफ़्तार हो जाना
विसालो-हिज्र के झगड़ों फ़ुर्सत ही न दी वर्ना
मआले-अशिक़ी था रूह का बेदार हो जाना
ज़बाँ गो चुप हुई, दिल में तलातुम है वही बर्पा
न आया आज तक मह्वे-ख़्याले-यार हो जाना