मैं महवे-खुदा तू शाने-ख़ुदा मैं और नहीं तू और नहीं,
तू जलवा है मैं जलवा नुमा मैं और नहीं तू और नहीं।

मैं ज़र्रा हूँ खुर्शीद है तू मैं फूल हूँ तू उस में खुशबू,
तू असले-बक़ा मैं शक्ले-बक़ा मैं और नहीं तू और नहीं।

मैं बुलबुल हूँ तू नग़मा है मैं साज़ हूँ तू उस का पर्दा,
मैं महवे-अदा तू हुस्ने-अदा मैं और नहीं तू और नहीं।

तू हुस्ने-अज़ल मैं इश्क़े-अज़ल तू औजे-अबद मैं मौजे-अबद,
हाकिम तू मिरा मैं हुक्म तिरा मैं और नहीं तू और नहीं।

मैं तुझमें हूँ तू मुझमें है मैं ज़ाहिर हूँ तू बातिन है,
मैं तेरी ज़िया तू मेरी ज़िया मैं और नहीं तू और नहीं।

तू क़ादिर है मैं कुदरत हूँ तू साने है मैं सनअत हूँ,
है एक ही रिश्ता दोनों का मैं और नहीं तू और नहीं।

मैं बंदा हूँ तू मौला है मैं ख़ादिम हूँ तू आक़ा है,
फिर क्यों मुझसे है बे परवा मैं और नहीं तू और नहीं।

तू हुस्ने-गुहर मैं ताबे-गुहर तू रूहे-बसर मैं शक्ले-बसर,
फिर तू ही बता क्या फ़र्क़ रहा मैं और नहीं तू और नहीं।

हस्ती से मिरी हस्ती है तिरी बस्ती से मिरी बस्ती है तिरी,
आ शौक़ से मेरे दिल में आ मैं और नहीं तू और नहीं।

मैं तुझ को यगाना कहता हूँ सदमों पर सदमे सहता हूँ,
बेगाना न बन कर तर्के-जफ़ा मैं और नहीं तू और नहीं।

कितना ही रहे तू पर्दा-नशीं पोशीदा नहीं आँखों से मिरी,
पर्दा है अबस पर्दे को उठा मैं और नहीं तू और नहीं।

तू ख़ालिक़ है तख़्लीक़ हूँ मैं लोलाक की इक तस्दीक़ हूँ मैं,
ऐ सूरतगर सूरत तो दिखा तू और नहीं मैं और नहीं।

तू हो के निहां है साफ़ अयां तू हो के अयां है खुद ही निहां,
वहदत है यही कसरत को मिटा मैं और नहीं तू और नहीं।

मैं रंगे-चमन तू बुए-चमन मैं जिस्मे-‘रतन’ तू रूहे-‘रतन’
ये राज भी मैं ने जाना लिया तू और नहीं मैं और नहीं।

By shayar

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