मेरी सूरत देखकर क्यों तुमने ठंड़ी साँस ली?
बेकसों पर रहम—आईने-सितमगारी नहीं।
हर तरफ़ से यह सदा आती है मुल्के-हुस्न में-
“यह वो दुनिया है जहाँ रस्मे-वफ़ादारी नहीं॥”
मेरी सूरत देखकर क्यों तुमने ठंड़ी साँस ली?
बेकसों पर रहम—आईने-सितमगारी नहीं।
हर तरफ़ से यह सदा आती है मुल्के-हुस्न में-
“यह वो दुनिया है जहाँ रस्मे-वफ़ादारी नहीं॥”