मेरी खातिर नुमायाँ कौन होगा
फसाना मैं हँू उनवाँ कौन होगा
सरे महफिल जबाँ खुलवाने वालो
जरा सोचो पशेमाँ कौन होगा
अगर काँटा निकल जाये चमन से
तो फूलों का निगहबाँ कौन होगा
मेरे बाद ऐ बताने-शहरे-काशी
मुझ ऐसा अहले ईमाँ कौन होगा
शिकस्ते अहदो पैमाँ जब हो शेवा
गवाहे अहदो पैमाँ कौन होगा
करे है सजदा-ए-हक बुतकदे में
’नजीर’ ऐसा मुसलमाँ कौन होगा