नरग़े तूफ़ान-ए हवादिस के, हवस की यलग़ार
ये धमाके, ये बगोले, सरे राह
जिस्म का, जान का, पैमाने वफ़ा क्या होगा ?
तेरा क्या होगा मेरे तारे नफ़स
तेरा क्या होगा अय मिज़राबे जुनूँ
ये दहकते हुए रुख़सार
ये महकते हुए लब
ये धड़कता हुआ दिल
शफ़क-ए-ज़ीस्त की पेशानी का रंगीं क़श्क़ा
क्या होगा
उड़ न जाए कहीं ये रंग-ए जबीं
मिट न जाए कहीं ये नक़्शे वफ़ा
चुप न हो जाए ये बजता हुआ साज़
शम्में अब कौन जलाएगा, सर-ए शाम गुज़रगाहों में
दहर में महर-ओ-वफ़ा कुछ भी नहीं
सज़दा कुछ भी नहीं नक़्शे कफ़-ए पा कुछ भी नहीं
मेरे दिल और धड़क
शाख़े गुल
और महक, और महक, और महक

By shayar

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