मुझको मेरे हाल पर अब छाड़िए
आप मस्तकबिल से रिश्ता जोड़िए
आपको दुनिया न कुछ कहने लगे
अपने दीवाने का पीछा छोड़िए
कौन तय करता है कितना फासला
फैसला अब फासले पर छाड़िए
जिन्दगी है एक टूटा सिलसिला
जोड़ सकते हैं तो आकर जोड़िए
मेरा दिल मस्जिद नहीं मन्दिर नहीं
कम से कम इसको समझकर ताड़िए
आजमाते जाइए किस्मत ’नजीर’
संगे दर जो भी मिले सर फोड़िए