मिरे खयाल ने पहुँचा दिया है किसके पास
शकुन्तला की अँगूठी की तरह गुम हैं हवास
बचाओ अपना जहाँ मरे गम के साये से
उदास दिल कहीं कर दे न कायनात उदास
मिरा सलाम लो ऐ साकिनाने दैरो हरम
अब उनके गम के सिवा कुछ नहीं है मेरे पास
तुम्हारे कहने से मैं आ गया हूँ महफिल में
मिरे करीब ही रहना मिरे मिजाजे शनास
जमाना हो गया बन सायँ-साँय करता है
तुम्हारे बाद किसी को न मिल सका बनबास
’नजीर’ आज वहाँ पा रहा हूँ अपने को
बड़े-बड़े ने जहाँ खो दिये हैं अपने हवास