मन्दिर में पुजारी लगे नाक़ूस बजाने
वो उनके भजन प्यारे वो गीत उनके सुहाने ।
तारीकिए शब ओढ़ के रुख़सत हुआ इसियाँ
तक़दीस के जारी हुए हर सिम्त तराने ।
वो छाँव में तारों की वो खेतों के किनारे
दहक़ान भी भैरों की लगा तान उड़ाने ।
कोयल ने किसी कुंज से कू-कू की सदा दी
मुरग़ाने चमन गाने लगे सुबह के गाने ।
अंगड़ाइयाँ लेता हुआ तूफ़ान-ए-जवानी
मलता हुआ आँखें उठा फ़ितनों को जगाने ।
कुछ लड़कियाँ आँचल को समेटे हुए बर में
गगरी लिए सर पर चलीं पानी के बहाने ।
अंगुश्तरियए हुस्न के अनमोल नगीने
सर चश्मे मुहब्बत के मसर्रत के ख़ज़ाने ।
चलती हैं इस अन्दाज़ से दामन को संभाले
सदक़े हुई शोख़ी तो बलाएँ ली अदा ने ।
पानी मेम लगी आग परेशान है मछली
कुछ शोलाबदन उतरे हैं पानी में नहाने ।
चेहरों को कभी शर्म से आँचल में छुपाना
गह खेलना पानी से वो झेंप अपनी मिटाने ।
तालाब पे अफ़्लाक  के गुमगश्ता सितारे,
आते हैं सुबह होते ही सागर के किनारे ।

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