फसल जे रात-दिन के काटेला प्रकाश-तम के खाई पाटेला हाथ ऊंहे समय के माथे पर जिन्दगानी के सूर्य साटेला Post navigation छाँह छलकि के गिरल डाल स बदल जाते हैं दिल-ए-हालात जब करवट बदलते हैं