फड़कत भुजदंड मार्तण्ड को छिपाय लिन्हों
मारूत सुत हनुमान लीला विस्तारी हैं
सोहत लंगूर करे शत्रुन के चूर-चूर,
भक्तन दुःख दूर करे जग में वीर भारी है।
पिंगल नयन लाल देह जन पर नित करत नेह,
करे जो सनेह ताको संकट से उबारी है।
द्विज महेन्द्र बार-बार छवि को बलिहार जाऊँ,
महावीर यति संत बाल ब्रह्मचारी हैं।