प्रेम की नाँव कुदाँव फँसी मन मोर मल्लाह सलाह कहाँ है।
अवसर था जो छूट गया जल आवत जात न जोर रहा है।
उम्र नदी इतनी उमगी सखी जोबन के धन जात बहा है।
महेन्द्र कहे सखी लाज तजों जब लाग गई तब लाज कहाँ है।
प्रेम की नाँव कुदाँव फँसी मन मोर मल्लाह सलाह कहाँ है।
अवसर था जो छूट गया जल आवत जात न जोर रहा है।
उम्र नदी इतनी उमगी सखी जोबन के धन जात बहा है।
महेन्द्र कहे सखी लाज तजों जब लाग गई तब लाज कहाँ है।