कलियुग यहि संसार में प्रवल जानियो भूप।
हिंदू मुस्लिम कर दिए दोनहुँ एकै रूप।।
दोनहुँ एकै रूप मूँछ दाढ़ी मुड़़वाई।
कर दिए जाति कुजाति नहीं कोई चिन्ह दिखाई।।
कहैं रहमान धर्म नहिं त्यागैं धर्म धुरंधर कोइ युग।
सत्युग त्रेता द्वापर जीते जीत लिहैं कभी कलियुग।।