झूमर
पिया परदेशिया रे आधरिया निशिया
रिमिझिमी मेघ रहत बरसिया
बिजली हुलसिया अंतर उदसिया
कैसे काटव दुख अलगे बसिया
बिनु श्याम-शशिया मरब तरसिया
फूल बाण हरीया उठत धड़सिया
भवप्रता हँसी कहत रूपसिया
तब फूले रे भौंरा गेलो रसिया।
झूमर
पिया परदेशिया रे आधरिया निशिया
रिमिझिमी मेघ रहत बरसिया
बिजली हुलसिया अंतर उदसिया
कैसे काटव दुख अलगे बसिया
बिनु श्याम-शशिया मरब तरसिया
फूल बाण हरीया उठत धड़सिया
भवप्रता हँसी कहत रूपसिया
तब फूले रे भौंरा गेलो रसिया।