निगाहों से छुप कर कहाँ जाइएगा
जहाँ जाइएगा, हमें पाइएगा

मिटा कर हमें आप पछताइएगा
कमी कोई महसूस फ़र्माइएगा

नहीं खेल नासेह! जुनूँ की हक़ीक़त
समझ लीजिए तो समझाइएगा

कहीं चुप रही है ज़बाने-महब्बत
न फ़र्माइएगा तो फ़र्माइएगा

By shayar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *