कहा है मुझसे जंगल की उन आवारा हवाओं ने
जो तेरी धड़कनों का तोहफ़ा मेरे पास लाती हैं ।

          के तुमको हुस्न की नामेहरबानी से शिकायत है ।
          तुम्हें कच्ची कली की बेज़बानी से शिकायत है ।
          गुन्ह ना‍आशनाओं की जवानी से शिकायत है ।

कहा है मुझसे जंगल की उन आवारा हवाओं ने
जो तेरी धड़कनों का तोहफ़ा मेरे पास लाती हैं ।

          सुना है ज़ब्त को तुम दिल की संगीनी समझते हो ।
          अदाए ख़ौफ़े-रुसवाई को ख़ुदबीनी समझते हो ।
          ये क्या सच है मेरे आँसू की रंगीनी समझते हो ।

कहा है मुझसे जंगल की उन आवारा हवाओं ने
जो तेरी धड़कनों का तोहफ़ा मेरे पास लाती हैं ।

          जुनूँ परवर अदाओं से सँवरने के इरादे हैं ।
          ख़ुदा के अर्शे-उलफ़त से उतरने के इरादे हैं
          ज़मीन-ओ आसमाँ को एक करने के इरादे हैं

कहा है मुझसे जंगल की उन आवारा हवाओं ने
जो तेरी धड़कनों का तोहफ़ा मेरे पास लाती हैं ।

By shayar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *