इन्साँ की आरजू ने इन्साँ की जुस्तजू ने
गिरती हुई ज़मीं को आकाश में उछला ।
वो मोड़ आ गया है मशरिक की ज़िन्दगी में
हर गाम पर सवेरा, हर सूं नया उजाला ।
इन्साँ की आरजू ने इन्साँ की जुस्तजू ने
गिरती हुई ज़मीं को आकाश में उछला ।
वो मोड़ आ गया है मशरिक की ज़िन्दगी में
हर गाम पर सवेरा, हर सूं नया उजाला ।