धोबी से धोबी नहीं लेत हैं धुलाई नाथ
नाई से नाई ना मजूरी के लिवैंया है।
केवट से केवट नाहीं लेत उतराई
हमतो नदी के खेवैया आप भव के खेवैया हैं।
दुख के हरैया त्रयताप के मिटैया प्रभु
आरत हरैया आप धरनी धरैया है।
द्विज महेन्द्र लालसा है चरण पखरिबे को
तरगई अहिल्या मेरो जीविका यही नैया है।