फिरने वाली खेत की मेड़ों पे बल खाती हुई ।
नर्मो शीरीं क़हक़हों के फूल बरसाती हुई ।
कंगनों से खेलती औरों से शरमाती हुई ।
अजनबी को देखकर ख़ामूश मत हो गाए जा
हाँ, तेलंगन गाए जा, बाँकी तेलंगन गाए जा ।
अरज़ यकसरगोश है ख़ामूश है सब आसमाँ
राग सुनने रुक गए हैं बादलों के कारवाँ
हाँ, तराना छेड़, जंगल का मेरी गुंचा दहाँ[5] ।
अजनबी को देखकर ख़ामूश मत हो गाए जा
हाँ, तेलंगन गाए जा, बाँकी तेलंगन गाए जा ।
देखने आते हैं तारे शब में सुन कर तेरा नाम
जल्वे सुबह-ओ-शाम के होते हैं तुझसे हमकलाम
देख फ़ितरत कर रही है तुझको झुक-झुक कर सलाम ।
अजनबी को देखकर ख़ामूश मत हो गाए जा
हाँ, तेलंगन गाए जा, बाँकी तेलंगन गाए जा ।
दुख़्तरे पाकीज़गी नाआशनाए सीम-ओ-ज़र ,
दश्त की ख़ुद रौ कली तहज़ीबे नौ से बेख़बर
तेरी ख़स की झोंपड़ी पर झुक पड़े सब बामो दर।
अजनबी को देखकर ख़ामूश मत हो गाए जा
हाँ, तेलंगन गाए जा, बाँकी तेलंगन गाए जा ।
ले चला जाता हूँ आँखों मे लिए तस्वीर को
ले चला जाता हूँ पहलू में छिपाए तीर को
ले चला जाता हूँ फैला राग की तनवीर[14] को ।
अजनबी को देखकर ख़ामूश मत हो गाए जा
हाँ, तेलंगन गाए जा, बाँकी तेलंगन गाए जा ।