तेरे दीवाने तेरी चश्म-ओ-नज़र से पहले
दार से गुज़रे तेरी राहगुज़र से पहले
बज़्म से दूर वो गाता रहा तन्हा-तन्हा
सो गया साज़ पे सर रख के सहर से पहले
इस अँधेरे में उजालों का गुमाँ तक भी न था
शोला रु शोला नवा शोला नज़र से पहले
कौन जाने के हो क्या रंग-ए सहर रंग-ए चमन
मयकदा रक़्स में है पिछले पहर से पहले
निकहते यार से आबाद है हर कुंजे क़फ़स
मिल के आई है सबा उस गुले तर से पहले ।