मेरे गीतों को सांझ चूमने आई
मैं देख रहा तरु-शिखरों की पियराई
बोलो, बोलो, इन आंखों से छलकोगे
तुम आतप हो, जलधार तुम्हें दूंगा
मझधार और दोनों तट हाथ हिलाते
वे नखत, अग्नि-जन, धुंधले दीप जलाते
नाविक बन जाओ, आओ, आओ, आओ
तुम प्लावन हो, पतवार तुम्हें दूंगा