तर्के-मुद्दआ कर दे ऐने-मुद्दआ हो जा।
शाने-अबद पैदा कर मज़हरे-ख़ुदा हो जा॥
उसकी राह में मिटकर, बे-नियाज़े-ख़लक़त बन।
हुस्न पर फ़िदा होकर हुस्न की अदा हो जा॥
तू है जब पयाम उसका फिर पयाम क्या तेरा।
तू है जब सदा उसकी, आप बेसदा हो जा॥
आदमी नहीं सुनता आदमी की बातों को।
पैकरे-अमल बनकर ग़ैब की सदा हो जा॥