तर्के-तदबीर को भी देख लिया।
यह भी तदबीर कारगर न हुई॥
यूँ मिली हर निगाह से वो निगाह।
एक की एक को ख़बर न हुई॥
आज तस्कीने-दर्देदिल ‘फ़ानी’।
वह भी चाहा किये मगर न हुई॥
तर्के-तदबीर को भी देख लिया।
यह भी तदबीर कारगर न हुई॥
यूँ मिली हर निगाह से वो निगाह।
एक की एक को ख़बर न हुई॥
आज तस्कीने-दर्देदिल ‘फ़ानी’।
वह भी चाहा किये मगर न हुई॥