तपन से घन, मन शयन से,
प्रातजीवन निशि-नयन से।
प्रमद आलस से मिला है,
किरण से जलरुह किला है,
रूप शंका से सुघरतर
अदर्शित होकर खिला है,
गन्ध जैसे पवन से, शशि
रविकरों से, जन अयन से।
तपन से घन, मन शयन से,
प्रातजीवन निशि-नयन से।
प्रमद आलस से मिला है,
किरण से जलरुह किला है,
रूप शंका से सुघरतर
अदर्शित होकर खिला है,
गन्ध जैसे पवन से, शशि
रविकरों से, जन अयन से।