तकलीफ मेरी ऐ मिरे आराम जाँ  न पूछ
कह अपनी सर गुज़श्त  मिरी दास्ताँ न पूछ

फुर्सत अगर मिली तो चला आऊँगा कभी
अपना पता बता मिरा नामो-निशाँ न पूछ

वो कौन सी जगह है जहाँ नक्श पा नहीं
गजरा किधर-किधर से मिरा कारवाँ न पूछ

हर तीर ने पलट के किया है मुझी पे वार
मुझसे मिरी रसाइए-आहो फुगाँ न पूछ

हस साँस में ’नजीर’ को याद आये है खुदा
किस हाल में है वारिसे शहरे बुताँ [5] न पूछ

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