झूमर (वैद्यनाथ स्तुति)

जय जय प्रभु। जय महेश, वैद्यनाथ शिव सुरेश
रुद्र वेश, शेष मुकुट साजे
भक्त क्लेश पापलेश कर विनाश व्योमकेश
भाल देश मण्डित द्विज राजे
डिमि-डिमि-डिमि डमरू, करे बाजे, करे बाजे
अभय चरणे देहि शरण प्रणामि प्रमथराजे
नाचत प्रभु भूत संग विभूति भूषित धवल अंग
कत भुजंग अंगे अंगे साजे
क्रोधे दग्ध भेल अनंग त्रिशूले त्रिपुर अंग भंग
करे कुरंग वराभय टंक साजे
त्रिनयने रवि सोम हुताश पंच वदने मधुर हास
करे विलास सुरधुनी जटा माझै
अन्तरे होवल कृपा विकास शमन पाश त्रास नाश
करिलेन प्रभु! द्विज सुत हित काजे
सिन्धु मथने उपजे गरल, भये त्रिभुवन करे टलमल
सुरदल अति कम्पित भय साजे
सदय आपनि हये महाबल! तरल गरल कण्ठे अचल
करिया नील-कण्ठ रूप विराजे
परम प्रकृति करिया धारण, त्रिगुणे त्रिमूर्त्ति करि प्रकाशन
सृजन पालन संहरण तीन काजे
भवप्रीता भणे जीवने मरणे भय गति तव अभय चरणे
एई रूप जेन हृदये सतत राजे

By shayar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *