जितने सितम किये थे किसी ने अताब में।
वो भी मिला लिए करमे-बेहिसाब में॥
हर चीज़ पर बहार, हर इक शय पै हुस्न था।
दुनिया जवान थी मेरे अहदे-शबाब में॥
जितने सितम किये थे किसी ने अताब में।
वो भी मिला लिए करमे-बेहिसाब में॥
हर चीज़ पर बहार, हर इक शय पै हुस्न था।
दुनिया जवान थी मेरे अहदे-शबाब में॥