ऐ दिले नारसा आज इतना मचल
मस्त आँखों की झीलों मे खिलने लगे आँसुओं के कँवल
मिल गया राह मे अजनबी मोड़ पर कोई जाने ग़ज़ल
आज तो याद आएँ न दुनिया के ग़म
आज दिल खोल कर मुस्कुरा चश्मे नम
आज छिटकी है रुख़सार की चाँदनी
छट गईं बदलियाँ, खुल गए पेचो ख़म
कितना भारी था ये ज़िन्दगी का सफ़र
मेरी जाने ग़ज़ल
ख़्वाबे फ़र्दा की दीवार की छाँव में
दो घड़ी बैठ कर
इशरते हाल की मय पिएँ
रास्ते मुन्तज़र, गुल बदामा है हर रहगुज़र
दिल की सुनसान गलियों में कुछ देर, कुछ दूर तक
आज तो साथ चल ।