ज़िंदगी मोतियों की ढलकती लड़ी, ज़िंदगी रंगे-गुल का बयाँ दोस्तो
गाह रोती हुई, गाह हँसती हुई, मेरी आँखें हैं अफ़सानाख़्वाँ दोस्तो ।

है उसी के जमाले नज़र का असर, ज़िंदगी ज़िंदगी है सफ़र है सफ़र
साया-ए-शाख़े गुल, शाख़े गुल बन गया, बन गया अब्र,  अब्रेरवाँ दोस्तो ।

इक महकती-बहकती हुई रात है, लड़खड़ाती निगाहों की सौग़ात है
पंखुड़ी की ज़बाँ, फूल की दास्ताँ, उसके होठों की परछाईयाँ दोस्तो ।

कैसे तय होगी ये मंज़िले शामे ग़म, किस तरह से हो दिल की कहानी रक़म
इक हथेली में दिल, इक हथेली में जाँ, अब कहाँ का ये सूद-ओ-ज़ियाँ दोस्तो ।

दोस्तो एक दो जाम की बात है, दोस्तो एक दो गाम की बात है
हाँ उसी के दरो बाम की बात है, बढ़ न जाए कहीं दूरियाँ दोस्तो ।

सुन रहा हूँ हवादिस की आवाज़ को, पा रहा हूँ ज़माने के हर राज़ को
दोस्तो उठ रहा है दिलों से धुआँ, आँख लेने लगी हिचकियाँ दोस्तो ।

By shayar

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