नग़मे शरर फ़िशाँ हूँ उठा आतिशे रबाब
मिज़राब-ए-बेख़ुदी से बजा साज़े इन्कि़लाब
मैमारे अहमदे नौ हो तेरा दस्ते-पुरशबाब
        बातिल की गरदनों पे चमक जुल्फ़कार बन ।

ऐसा जहान जिसका अछूता निज़ाम हो,
ऐसा जहान जिसका अखूव्वत पयाम हो
ऐसा जहान जिसकी नई सुबहो शाम हो
        ऐसे जहाने नौ का तू परवरदिगार बन ।

By shayar

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