जय जयति हर हर करुणा सागर
चन्द्रधर, परमेश्वर
स्फटिक तन पेॅ भस्म पगधर
डमरू शूल धूल शीकर
पीत जट पेॅ गंग सुन्दर
हेम गत हीरक तर

वासव निज कर करत चामर
छत्र पेॅ धर श्रीधर
रमत वृष पेॅ प्रेत सहचर
पूजत सुर नर खेचर

अर्द्धनारीश्वर करी चर्माम्बर
त्रिनेत्र त्रिगुण गुणाकर
तारहू पामर भवप्रीता नर
पतित पावन शंकर।

By shayar

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