गुलज़ारे-हस्ती-बूद न बेगानावार देख

है देखने की चीज़, इसे बार-बार देख

आया है तू जहाँ में मिसाले-शरार देख

दम दे न जाए हस्ती-ए-नापायादार देख

माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं

तू मेरा शौक़ देख, मेरा इंतिज़ार देख

By shayar

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