किया था जम’अ जाँबाज़ों ने जिसको जाँ-फ़रोशी से
रुपहले चन्द टुकडों पर वो इज़्ज़त बेच दी तूने

कोई तुझ-सा भी बे-ग़ैरत ज़माने में कहाँ होगा?
भरे बाज़ार में तक़दीरे-मिल्लत बेच दी तूने

By shayar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *