गवना कराइ सैंया घर बइठवले से,
अपने लोभइले परदेस रे बिदेसिया।।
चढ़ली जवनियाँ बैरन भइली हमरी रे,
के मोरा हरिहें कलेस रे बिदेसिया।।
दिनवाँ बितेला सइयाँ वटिया जोहत तोरा,
रतिया बितेला जागि-जागि रे बिदेसिया।।
घरी राति गइले पहर राति गइले से,
धधके करेजवा में आगि रे बिदेसिया।।
आमवाँ मोररि गइले लगले टिकोरवा से,
दिन-पर-दिन पियराय रे बिदेसिया।।
एक दिन बहि जइहें जुलमी बयरिया से,
डाढ़ पात जइहें भहराय रे बिदेसिया।।
भभकि के चढ़लीं मैं अपनी अँटरिया से,
चारो ओर चितवों चिहाइ रे बिदेसिया।।
कतहूँ न देखीं रामा सइयाँ के सूरतिया से,
जियरा गइले मुरझाइ रे बिदेसिया।।

By shayar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *