कृष्ण कन्हइया मोरा संग के खेलवना
कि हमनी के तेजि के कहाँ गइलें हो लाल।
जो हम जनितीं श्याम होइहें निरमोहिया
त काहे के सनेहिया लगइतीं हो लाल।
जो हम जनितीं स्याम कूबड़े पर राजी
त कूबड़े बनइतीं दुई चारी हो लाल।
जब जब सुध आवे सँवली सुरतिया
त हनी हनी लागेला कटरिया हो लाल।
कूबड़ी जोगिनीयाँ राम भइली सवतिया
से हमरा करेजऊ के फँसवली हो लाल।
कहत महेन्दर स्याम कइलें अनरीतिया
कि नेहिया लगा के दगा दीहलें हो लाल।