कुछ सुनने की ख़्वाहिश कानों की, कुछ कहने का अरमाँ आँखों में,
गरदन में हमायल होने की बेताब तमन्ना बाँहों में।
मुश्ताक़ निगाहों की ज़द से नज़रों का हया से झुक जाना
इक शोक-ए हमआग़ोशी पिन्हा उन नीची भीगी पलकों में ।
शाने पे परेशाँ होने को बेचैन सियह काकुल की घटा
पेशानी में तूफ़ाँ सजदों का, लबबोसी की ख़्वाहिश होंटों में ।
वारफ़्ता निगाहों से पैदा है एक अदाए जुलेखाई
अन्दाज़-ए-तग़ाफ़ुल  तेवर से रुसवाई का सामाँ आँखों में ।
फुरक़त की भयानक रातों का रंगीन तसव्वुर में आना
इफ़शा-ए-हक़ीक़त के डर से हँस देने की कोशिश होंटों में ।
आँसू का ढलक कर रह जाना खूंगश्ता दिलों की नज़राना
तकमीले वफ़ा का अफ़साना कह जाना आँखों आँखों में ।

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