किंकिनी के शब्द मुझे घायल सी करत आज नुपूर आवाज मेरो बरबस मन लेता है।
सिया सुकुमारी मन मोहेली हमारी मदन पंच बान मारी हमें बिकल कर देता है।
देश-देश के नरेश आये हैं सभा के बीच आज तो विधाता देखें किसको विजय देता है।
द्विज महेन्द्र लखन लाल सगुन बताओ हमें जानकी का माला आज किसके गले होता है।