करें हम उनसे अर्ज़े मुद्दआ क्या
सरापा इल्तिजा की इल्तिजा क्या
जरा सा छेड़ कर देखो तो हमको
समझ रखा है साज़े बेसदा क्या
जवानी छायी जाती है चमन पर
खरामाँ है कोइ्र रंगीन अदा क्या
खफा होते हो क्यों जिक्रे वफा पर
किसी ने कह दिया है बेवफा क्या
बलाएँ लरजाबर अन्दाम क्यों हैं
ज़माना मेरी आहट पा गया क्या
हमीं से परवरिश पायी है सबने
जमाना क्या, जमाने की हवा क्या
खुदा से वो करेंगे मेरा शिकवा
खुदा उनका है कोई दूसरा क्या