इसी चमन में चलें जश्ने याद-ए यार करें
दिलों को चाक गरेबाँ को तार-तार करें
शमीम-ए पैरहन-ए यार क्या निसार करें
तुझी को दिल से लगा लें तुझी को प्यार करें
सुनाती फिरती हैं आँखें कहानियाँ क्या-क्या
अब और क्या कहें किस-किस को सोगवार करें
उठो के फुरसते दीवानगी ग़नीमत है
क़फ़स को ले के उड़े गुल को हमकिनार करें
कमाने अबरुए खूबाँ[5] का बाँकपन है ग़ज़ल
तमाम रात ग़ज़ल गाएँ दीदे यार करें